आखिर क्यों विद्यार्थी अपने ही द्वारा बनाए गए टाइम टेबल के अनुसार भी नहीं पढ़ पाते हैं?
हेलो दोस्तों,
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आज हम आपके साथ ऐसे टॉपिक पर बात करने वाले हैं जो अक्सर सभी विद्यार्थियों के साथ होता है अक्सर सभी विद्यार्थियों बहुत सोच समझ कर पढ़ने के उद्देश्य से एक रूटिंग बनाते हैं लेकिन बनाने के लगभग 1 या 2 दिन के बाद ही वे रूटिंग से अलग हो जाते हैं आखिर ऐसा क्यों होता है क्यों हम अपने ही द्वारा बनाए गए रूटिंग को पालन नहीं कर पाते हैं आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे और बताएंगे कि ऐसा क्यों होता है और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है
रूटिंग विद्यार्थी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है किसी लक्ष्य को एक निश्चित समय में पाने के लिए रूटिंग बनाना बहुत ही आवश्यक है कुछ लोग जब वे रूटिंग को पालन नहीं कर पाते हैं तो वे रूटिंग बनाना छोड़ देते हैं और कहते हैं कि रूटिंग कभी पालन हो ही नहीं सकता लेकिन आप गौर करके देखें तो आपको पता चलेगा कि जिसने रूटीन को पालन किया वही सफल हुआ और जो रूटिंग का पालन जिस हद तक किया उस हद तक ही सफल हो पाया अर्थात मेरा कहने का मतलब यह है कि सफलता के लिए रूटिंग का पालन तो करना ही पड़ेगा लेकिन क्या करें कि हम रूटिंग को पालन कर सकें आपने अपने जीवन में यह जरूर महसूस किया होगा और आपने पढ़ने के लिए कभी तो रूटिंग जरूर बनाया होगा और पाया होगा कि हमने जिस हद तक रूटिंग का पालन किया उसी हद तक सफल हो पाए
हर कोई चाहता है कि मैं रूटिंग पर खरे उतर कर अपना लक्ष्य जल्दी से हासिल कर ले लेकिन इसे वही कर पाता है जिसे करने की क्षमता होती है
आज मैं आपको अपना अनुभव अथवा अपनी कहानी के माध्यम से यह समझाने का प्रयत्न करूंगा कि किस प्रकार मैंने रूटिंग पर कुछ हद तक विजय हासिल किया, लेकिन आप से विनती है कि यदि आप भी यह चाहते हैं कि मैं भी अपने द्वारा बनाई गई रूटिंग को अच्छी तरह से पालन कर सकूं तो इस कहानी को अंतिम तक जरूर पढें मुझे आशा है कि आप को मदद जरूर मिलेगी
जैसा कि आप जानते हैं कि मैं भी एक विद्यार्थी हूं और अभी मैं ग्रेजुएशन कर रहा हूं साथ में सरकारी नौकरी की तैयारी भी करता हूं कहानी शुरू करता हूं उस समय से जिस समय मैं शायद 8th or 9th मैं था उस समय में अलग-अलग प्रकार से डेली रूटीन बनाता था मेरे द्वारा बनाया गया रूटिंग में पढ़ने का समय खेलने का समय खाने का समय सब दिया हुआ रहता था बनाते वक्त मैं इतना पॉजिटिव रहता था कि मुझे ऐसा महसूस होता था कि मैं इस रूटिंग को हमेशा पालन कर पाऊंगा लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होता था और मैं लगभग 2 या 3 दिन रूटीन का पालन करने के बाद उसे छोड़ देता था
इस प्रकार मैं लगभग 2 साल तक अनेकों प्रकार से रूटिंग से लड़ता रहा कभी दीवार पर रूटिंग बनाकर चिपकाता रहा तो कभी कॉपी के पेज में रूटिंग को सजाता रहा लेकिन किसी भी प्रकार से मैं रूटिंग को निभाने में सफल नहीं हो पा रहा था मैंने इस बात पर बहुत सोचने का प्रयास किया कि किस कारण से मैं इसे नहीं निभा पाता हूं लेकिन मुझे ऐसी कोई जवाब नहीं मिला जिससे कि मैं सफल हो जाऊं जब मैं 12वीं में गया तो मैं इसके बारे में और गहराई से सोचने लगा मैंने यह महसूस किया कि जब मैं रूटिंग बनाता हूं तो रूटिंग बनाने का लगभग 4 या 5 दिन के बाद है मुझे ऐसा लगता है कि मुझे अब दूसरा कुछ पढ़ना चाहिए मेरे लिए वह अच्छा है तो कभी अनेक प्रकार के विचार मन में आने लगते हैं और मेरा दिमाग भी रूटिंग को इतना बोझ समझ लेता है कि उसे लगता है कि रूटिंग निभाना एक बहुत बड़ा काम है और हम इस प्रकार हम रूटिंग छोड़ देते हैं क्योंकि मेरा दिमाग थका हुआ महसूस करने लगता है
उपयुक्त बात को समझाने के लिए मैं एक उदाहरण पेश करता हूं कि दिमाग किस प्रकार से हमारे साथ खेलता है मान लीजिए आपको 1600 मीटर की दौड़ की तैयारी करनी है और आपने यह सोच लिया कि हमें रोज 1600 मीटर दौड़ना है तो आप यह पाते हैं कि आप 1600 मीटर पहुंचने से पहले ही थक जाते हैं लेकिन वहीं यदि आप का टारगेट 10 किलोमीटर पर है और आपने सोच ले कि मुझे रोज 10 किलोमीटर दौड़ना है तो आप यह पाते हैं कि लगभग 2 किलोमीटर आप बिना रुके दौड़ सकते हैं मैं उनके लिए कह रहा हूं जो शुरू शुरू दौड़ स्टार्ट करते हैं
उपयुक्त बातों से आप समझते हैं कि किस प्रकार हमारा सोच का प्रभाव हमारे दिमाग पर पड़ता है और हमारे दिमाग हमें करने से इस प्रकार रोक देता है यही स्थिति हमारा रूटिंग के साथ भी लागू होता है हम जो रूटिंग बनाते हैं दिमाग उसे संघर्ष का अधिकतम बिंदु मान लेता है और उस अधिकतम बिंदु तक पहुंचने से पहले ही हमें थकान महसूस होने लगती है और हमें उस रूटिंग को पालन नहीं करने का मन करने लगता है इन सारी बातों को महसूस करने के बाद हमने रूटिंग को कुछ इस प्रकार से बदल दिया जो निम्नलिखित है
जब मैं 12वीं क्लास पास किया और ग्रेजुएशन के पार्ट वन में एडमिशन लिया उपयुक्त बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने यह निश्चय किया कि इस बार रूटिंग को लेकर कुछ ऐसा योजना बनाऊंगा जिससे कि मेरा दिमाग उसे अधिकतम नहीं बल्कि न्यूनतम बिंदु समझे अब मैं आपके साथ उस बात को शेयर करने जा रहा हूं जिससे आप सफलता की ओर कदम बढ़ाना शुरू कर देंगे आप इसे ध्यान से और शांति से पढ़े
रूटिंग को बार बार बनाने और बार-बार असफल होने से हमें यह महसूस हुआ कि क्यों ना दिमाग को ही बता दिया जाए कि हम कितना पढ़ते हैं
जी हां दोस्तों इस बार हमने रूटिंग बनाने की जो तरकीब ढूंढी है उसमें रूटिंग नहीं बल्कि नोट होगा हम रोज इस बात को नोट करेंगे कि हम कितना पढ़ते हैं आइए अब हम इस बात को विस्तार से समझाता हूं इस बार हम कोई रूटिंग नहीं बनाने वाले हैं क्योंकि मेरा रूटीन अपने आप तैयार होगा
इसके लिए सबसे पहले मैंने एक डायरी खरीदा जीवन में पहली बार रूटिंग को निभाने में सफल होने के लिए मैंने डायरी खरीदा था डायरी में मैं आपको जीवनी लिखने के लिए नहीं कह रहे हैं बल्कि उस डायरी में सिर्फ और सिर्फ टाइम का नोटबुक तैयार करना है जिस प्रकार आप किसी विषय का नोटबुक बनाते हैं उसी प्रकार आप अपने पढ़ने का जो टाइम है उसका नोटबुक बनाना है
आइए उपयुक्त बात को मैं विस्तार से समझाने का प्रयास करता हूं डायरी में तीन खाना तैयार करना है पहला खाना में विषय दूसरी खाना में विषय का टॉपिक और तीसरी खाना में टाइम , मान लीजिए आपने सबसे पहले मैथ विषय का पढ़ाई किया तो विषय में आप लिखेंगे मैथ्स, मान लीजिए मैथ में आपने परसेंटेज पड़ा तो विषय के टॉपिक अर्थात दूसरा खाना में आप परसेंटेज लिखेंगे और तीसरा खाना में आप उस टाइम क लिखेंगे जिस टाइम से किस टाइम तक आपने उसे पढ़ा इस प्रकार नेक्स्ट विषय लिखते जाएंगे
और प्रतिदिन इस बात को नोट करेंगे कि आपने आज कितना घंटा पढ़ाई किया और कितना घंटा अन्य काम किया इस प्रकार आपको यह महसूस होगा कि आप वास्तव में प्रतिदिन कितना पढ़ते हैं आपको अपने दिमाग में यह सोच रखना है कि हमें 1 सप्ताह में 100 घंटा की पढ़ाई करनी है तब आप महसूस करेंगे की वास्तव में हम जितना पढ़ते थे वह बहुत कम था और इस प्रकार आपका दिमाग आपको पढ़ने के लिए प्रेरित करेगा आप अपने उस डायरी को सजाने के चक्कर में इतना पढ़ लोगे कि जब आप उस डायरी को बाद में देखोगे तो वह जो रूटिंग तैयार होगा उसे देखकर आपके अंदर मोटिवेशन आएगा और लगातार इसी प्रकार मेहनत करते करते आपको पढ़ने की आदत लग जाएगी
आपको यह ध्यान रखना है कि आप अपने डायरी के साथ सदैव ईमानदार रहना है डायरी को अपना जीवन का एक दर्पण समझना और उसमें उतना ही लिखना है जितना आप हकीकत में पढ़ते हैं
इस प्रकार इस रूटिंग में यह खास होता है कि इसमें किसी विषय को पढ़ने से पहले नहीं लिखा जाता यह रूटिंग खाली होती है जैसे जैसे पढ़ते जाते हैं वैसे वैसे रूटिंग भरते जाती है इसमें आप अपनी इच्छा से किसी भी समय किसी भी विषय को पढ़ सकते हैं
Note- किसी भी रूटिंग को तभी निभाई जा सकती है जब आप उस रूटिंग को मन से निभाने की भरपूर कोशिश करें
इसमें खास बात एक और होती है जो हमें पढ़ने के लिए प्रेरित करता है इसमें इस बात का सदैव ध्यान रहता है कि भविष्य में जब कभी मैं इस डायरी को देखू तब मुझे किसी बात का अफसोस ना रहे इसलिए आज हमें इसे अपनी पसीनो से अच्छी तरह से सजाना है
मुझे पता है कि मेरे द्वारा लिखा गया यह लेख का आखरी हिस्सा आपको अच्छे से समझ में नहीं आया होगा लेकिन मुझे विश्वास है कि यदि मेरे द्वारा जो बताया गया है वैसे आप करेंगे तो आपको अपने ही सब समझ में आ जाएगा
मैं तो आश्चर्यचकित हु कि किस प्रकार एक छोटी सी डायरी ने मुझे अपने बस में कर लिया और मेरे पढ़ाई का रूटिंग ही नहीं बल्कि मेरा और आलसी आदतों को सुधारने में पूरी तरह से मदद की
Advice- प्रिय दोस्तों बात चाहे रूटिंग निभाने की या मन लगाकर पढ़ने की हो या किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए इन सभी को हासिल करने के लिए एक चीज की जरूरत पड़ती है वह होती है मन की शांति मन को वश में करना सभी समस्याओं का समाधान है इसलिए सभी विद्यार्थियों के लिए आध्यात्मिक ज्ञान और योग परम आवश्यक है इसलिए मेरा सलाह है कि आप प्रतिदिन भोर में उठकर 5 मिनट ही रहे लेकिन शांत अवस्था में बैठकर आंख बंद करके मन को स्थिर करने का प्रयास जरूर करें और प्रतिदिन योगासन और व्यायाम करने का प्रयास जरूर करें
यह पोस्ट आपको कैसा लगा कमेंट में जरूर बताइएगा और यदि आप कोई सलाह देना चाहे तो जरूर दे
धन्यवाद